जलगांव: महाराष्ट्र के मंत्री नितेश राणे द्वारा मदरसों को लेकर दिए गए विवादित बयान के खिलाफ जलगांव शहर में मुस्लिम समाज में भारी आक्रोश देखने को मिल रहा है। समाज के विभिन्न सामाजिक कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों ने कलेक्टर कार्यालय के समक्ष हस्ताक्षर अभियान चलाकर मुख्यमंत्री को औपचारिक शिकायत पत्र सौंपने का निर्णय लिया है।
यह विवाद तब बढ़ा जब नितेश राणे ने 12 फरवरी 2025 को TV9 मराठी और यूट्यूब चैनल के माध्यम से एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान उन्होंने अक्कलकुवा के जामिया इस्लामिया इशातुल उलूम मदरसे पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि यह मदरसा राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में शामिल है और वहां आतंकी गतिविधियां संचालित की जा रही हैं। इसके साथ ही उन्होंने महाराष्ट्र के अन्य मदरसों पर भी इसी तरह के आरोप लगाए, जिससे मुस्लिम समाज की धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं।

मुस्लिम समाज के कार्यकर्ताओं ने अपनी शिकायत में कहा कि जामिया इस्लामिया इशातुल उलूम एक पंजीकृत शिक्षण संस्था है, जहां केजी से पीजी तक की पढ़ाई होती है, साथ ही लॉ कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज और मेडिकल कॉलेज भी संचालित किए जाते हैं। इस संस्था में 15,000 से अधिक छात्र पढ़ते हैं और लगभग 950 कर्मचारी कार्यरत हैं, जिनमें से 1200 छात्र और 25 शिक्षक हिंदू समुदाय से आते हैं।
शिकायतकर्ताओं का कहना है कि नितेश राणे का यह बयान पूरी तरह से भ्रामक और समाज को बांटने वाला है। इसके अलावा, उनके विधानसभा चुनाव हलफनामे में भी उनके खिलाफ 38 आपराधिक मामले दर्ज होने की जानकारी दी गई थी, जिनमें 22 मामले धार्मिक उन्माद भड़काने और सांप्रदायिक वैमनस्य फैलाने से जुड़े हैं। ऐसे में मुस्लिम समाज ने मांग की है कि नितेश राणे को मंत्रिमंडल से तत्काल बर्खास्त किया जाए और उनके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 196, 197, 198, 298, 302 के तहत कानूनी कार्रवाई की जाए।
जलगांव शहर में इस मुद्दे को लेकर बड़ी संख्या में मुस्लिम समाज के लोग एकजुट हो रहे हैं और मुख्यमंत्री से जल्द से जल्द उचित कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
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