“सादगी भरा निकाह – इस्लाम की बेहतरीन तालीम पर अमल!”
जलगांव के महरून स्थित रज़ा कॉलोनी में एक अनोखा निकाह संपन्न हुआ, जहां लड़की वाले मंगनी की तैयारी कर रहे थे और लड़के वाले भी मंगनी के इरादे से आए थे । लेकिन इस मौके पर मौजूद बुजुर्गों और जिम्मेदारों ने इस्लाम की उस सीख को अमल में लाने की पहल की, जो निकाह को आसान बनाने पर ज़ोर देती है।
मुफ़्ती अबू ज़र साहब की मौजूदगी में, आपसी रज़ामंदी और समाज के वरिष्ठजनों की कोशिशों से, बिना किसी फिजूलखर्ची के निकाह कर दिया गया। इस नेक पहल में रज़ा कॉलोनी के समाजसेवी रज़ाक मुलतानी, शब्बीर भाई, इमरान शेख, शेरा मुलतानी,अनीस भाई शाह, और अन्य जिम्मेदारों का अहम योगदान रहा।
इस्लाम हमें सिखाता है कि निकाह को आसान किया जाए। आज के दौर में जहां शादियों में फिजूलखर्ची और दिखावे का बोझ बढ़ता जा रहा है, वहीं यह निकाह एक मिसाल बनकर सामने आया है। यह संदेश देता है कि अगर समाज के जिम्मेदार लोग आगे बढ़कर पहल करें, तो बिना दहेज और गैर-ज़रूरी खर्च के भी खुशहाल शादी हो सकती है।
الْحَمْدُ لِلَّهِ, इस निकाह ने समाज में एक नई राह दिखाई है, जिससे प्रेरणा लेकर और लोग भी अपने बच्चे और बच्चियों की शादियों को सादगी और इस्लामी शिक्षाओं के अनुसार अंजाम दे सकते हैं।
जळगाव: मेजर ध्यानचंद हॉकी स्टेडियम, पिंपरी पुणे येथे १ ते ७ मार्च २०२५ दरम्यान होणाऱ्या राज्यस्तरीय सब-ज्युनियर आणि ज्युनियर मुलींच्या हॉकी स्पर्धेसाठी निवड चाचणीचे आयोजन हॉकी महाराष्ट्रतर्फे करण्यात आले आहे.
या निवड प्रक्रियेसाठी जळगाव जिल्ह्यातील उत्कृष्ट खेळाडूंची निवड चाचणी श्री छत्रपती शिवाजी महाराज क्रीडा संकुल, जळगाव येथे २२ फेब्रुवारी २०२५, शनिवार रोजी सकाळी ८ वाजता होणार आहे.
सब-ज्युनियर गट: जन्मतारीख ०१/०१/२००९ किंवा त्यानंतरची असावी.
ज्युनियर गट: जन्मतारीख ०१/०१/२००६ किंवा त्यानंतरची असावी.
सहभागी खेळाडूंनी सकाळी ७:३० वाजता उपस्थित राहावे.
आवश्यक कागदपत्रे: जन्म दाखला, आधार कार्ड आणि शाळेचा दाखला यांची प्रत अनिवार्य.
हॉकी महाराष्ट्रच्या उपाध्यक्ष प्रा. डॉ. अनिता कोल्हे आणि हॉकी जळगावचे सचिव फारूक शेख यांनी एका पत्रकाद्वारे सर्व पात्र खेळाडूंना या संधीचा लाभ घेण्याचे आवाहन केले आहे.
अधिक माहितीसाठी संपर्क: 📞 वर्षा सोनवणे – 88064 24365 📞 हिमाली बोरोले – 79856 62401
जळगाव: तांबापुरा समेत शहर की अन्य झोपड़पट्टियों को हटाने की योजना को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। क्या यह वास्तव में स्लम पुनर्विकास योजना है, या इसके पीछे कोई बिल्डर लॉबी काम कर रही है? जळगाव शहर महानगर पालिका ने धारावी मॉडल पर तांबापुरा, हरिविट्ठल नगर, खाडेराव नगर और अन्य झोपड़पट्टियों को हटाकर बहुमंजिला इमारतें बनाने की योजना बनाई है, लेकिन इस फैसले के पीछे छुपी सच्चाई क्या है?
झोपड़पट्टी हटाओ, बिल्डर बसाओ?
तांबापुरा और अन्य झोपड़पट्टियों को विकसित करने के नाम पर वहां के रहवासियों को दूसरी जगह भेजने की चर्चाएं तेज हो गई हैं। सवाल यह उठता है कि क्या यह सिर्फ झोपड़पट्टीवासियों को वाजिब घर देने का प्रयास है, या फिर इसके पीछे कोई बड़ा मास्टरमाइंड छुपा हुआ है? शहर के कुछ राजनीतिक और सामाजिक कार्यकर्ताओं का मानना है कि यह योजना असल में एक बड़ी बिल्डर लॉबी को फायदा पहुंचाने के लिए लाई गई है, ताकि इन बहुमूल्य जमीनों पर महंगी रिहायशी और व्यावसायिक इमारतें खड़ी की जा सकें।
क्या झोपड़पट्टीवासियों की सहमति ली गई?
जळगाव शहर महानगर पालिका का कहना है कि झोपड़पट्टीवासियों की सहमति से ही यह योजना लागू होगी, लेकिन हकीकत यह है कि अधिकांश रहवासी इस फैसले से अनजान हैं। कई लोगों का आरोप है कि बिना सही जानकारी और स्पष्ट दस्तावेज़ों के उन्हें सिर्फ सुनहरे सपने दिखाए जा रहे हैं।
तांबापुरा रहिवासियों की मुख्य मांग – हमें हमारी ज़मीन का हक चाहिए!
तांबापुरा के रहिवासियों ने इस योजना का विरोध करते हुए साफ कहा है कि उन्हें किसी भी हालत में दूसरी जगह नहीं जाना है। उनकी मांग है कि पहले उनके नाम से सातबारा का उतारा निकाला जाए और सरकारी योजना के तहत उसी जगह पर पक्के मकान बनाने की अनुमति दी जाए। अगर सरकार झोपड़पट्टीवासियों को घर देना चाहती है, तो उन्हें उनकी ही ज़मीन पर मकान बनाने की मंजूरी दी जानी चाहिए, न कि उन्हें दूसरी जगह शिफ्ट किया जाए।
तांबापुरा के नागरिकों का कहना है कि अगर सरकार सच में गरीबों के हक में फैसला लेना चाहती है, तो उन्हें योजना का पैसा सीधे उनके घर के निर्माण के लिए दिया जाए, ताकि वे उसी स्थान पर अपने स्थायी पक्के मकान बना सकें। सरकार को बहुमंजिला इमारत बनाने के बजाय झोपड़पट्टीवासियों को कानूनी हक देकर उनके मौजूदा स्थान पर ही विकास कार्य करना चाहिए।
क्या बिल्डरों को सौंपने की तैयारी?
शहर में इस बात की भी चर्चा है कि तांबापुरा समेत अन्य झोपड़पट्टियों की ज़मीनें करोड़ों की कीमत की हैं। अगर यहां बहुमंजिला इमारतें बनती हैं, तो क्या वास्तव में गरीबों को उनके हक के घर मिलेंगे, या फिर यह जमीनें किसी बिल्डर लॉबी के हाथों में चली जाएंगी? कई बार ऐसा देखा गया है कि स्लम पुनर्विकास के नाम पर झोपड़पट्टीवासियों को बेघर कर दिया जाता है, और उनकी जमीनें प्राइवेट कंपनियों को सौंप दी जाती हैं।
क्या सरकार गरीबों को बेघर करने पर तुली है?
क्या यह योजना सिर्फ एक शुरुआत है? क्या जळगाव शहर महानगर पालिका धीरे-धीरे पूरे शहर से झोपड़पट्टी खत्म करने के एजेंडे पर काम कर रही है? अगर ऐसा है, तो झोपड़पट्टी में रहने वाले गरीब लोगों का क्या होगा? क्या उन्हें वाकई उनके हक का घर मिलेगा, या फिर वे बेघर होकर इधर-उधर भटकने को मजबूर हो जाएंगे?
तांबापुरा के लोगों का क्या कहना है?
तांबापुरा के कई निवासियों ने इस योजना पर नाराजगी जाहिर की है। उनका कहना है कि अगर सही और पारदर्शी तरीके से मकान मिलते हैं तो वे तैयार हैं, लेकिन अगर यह सिर्फ एक बिल्डर लॉबी को फायदा पहुंचाने की चाल है, तो वे इसका विरोध करेंगे। उनका स्पष्ट कहना है कि अगर सरकार उनकी भलाई चाहती है, तो उन्हें सातबारा के मालिकाना हक के साथ उसी जगह पर घर बनाने का अधिकार दिया जाए।
आखिर सच्चाई क्या है?
क्या तांबापुरा का विकास वास्तव में वहां के गरीबों की भलाई के लिए किया जा रहा है? या फिर इसके पीछे किसी बड़े बिल्डर और नेताओं की मिलीभगत है? यह सवाल अब हर झोपड़पट्टीवासी के दिमाग में घूम रहा है। जळगाव शहर महानगर पालिका को इस पर स्पष्टता लानी होगी, ताकि झोपड़पट्टीवासियों को उनके भविष्य को लेकर कोई धोखा न दिया जाए?
जलगांव: महाराष्ट्र के मंत्री नितेश राणे द्वारा मदरसों को लेकर दिए गए विवादित बयान के खिलाफ जलगांव शहर में मुस्लिम समाज में भारी आक्रोश देखने को मिल रहा है। समाज के विभिन्न सामाजिक कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों ने कलेक्टर कार्यालय के समक्ष हस्ताक्षर अभियान चलाकर मुख्यमंत्री को औपचारिक शिकायत पत्र सौंपने का निर्णय लिया है।
यह विवाद तब बढ़ा जब नितेश राणे ने 12 फरवरी 2025 को TV9 मराठी और यूट्यूब चैनल के माध्यम से एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान उन्होंने अक्कलकुवा के जामिया इस्लामिया इशातुल उलूम मदरसे पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि यह मदरसा राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में शामिल है और वहां आतंकी गतिविधियां संचालित की जा रही हैं। इसके साथ ही उन्होंने महाराष्ट्र के अन्य मदरसों पर भी इसी तरह के आरोप लगाए, जिससे मुस्लिम समाज की धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं।
मुस्लिम समाज के कार्यकर्ताओं ने अपनी शिकायत में कहा कि जामिया इस्लामिया इशातुल उलूम एक पंजीकृत शिक्षण संस्था है, जहां केजी से पीजी तक की पढ़ाई होती है, साथ ही लॉ कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज और मेडिकल कॉलेज भी संचालित किए जाते हैं। इस संस्था में 15,000 से अधिक छात्र पढ़ते हैं और लगभग 950 कर्मचारी कार्यरत हैं, जिनमें से 1200 छात्र और 25 शिक्षक हिंदू समुदाय से आते हैं।
शिकायतकर्ताओं का कहना है कि नितेश राणे का यह बयान पूरी तरह से भ्रामक और समाज को बांटने वाला है। इसके अलावा, उनके विधानसभा चुनाव हलफनामे में भी उनके खिलाफ 38 आपराधिक मामले दर्ज होने की जानकारी दी गई थी, जिनमें 22 मामले धार्मिक उन्माद भड़काने और सांप्रदायिक वैमनस्य फैलाने से जुड़े हैं। ऐसे में मुस्लिम समाज ने मांग की है कि नितेश राणे को मंत्रिमंडल से तत्काल बर्खास्त किया जाए और उनके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 196, 197, 198, 298, 302 के तहत कानूनी कार्रवाई की जाए।
जलगांव शहर में इस मुद्दे को लेकर बड़ी संख्या में मुस्लिम समाज के लोग एकजुट हो रहे हैं और मुख्यमंत्री से जल्द से जल्द उचित कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।